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🕉️ वेदमाता गायत्री: आखिर क्यों कहा जाता है इन्हें वेदों की जननी?

🕉️ वेदमाता गायत्री: आखिर क्यों कहा जाता है इन्हें वेदों की जननी?

2 दिन पहले
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भंडारा, महाराष्ट्र
जानकारी का स्रोत: गायत्री महाविज्ञान, पृष्ठ १ (Page 1) क्या आपने कभी सोचा है कि गायत्री मंत्र को "वेदमाता" क्यों कहा जाता है? क्या यह सिर्फ एक धार्मिक मान्यता है या इसके पीछे कोई गहरा विज्ञान है? आइये जानते हैं। जैसे एक छोटे से बरगद के बीज में एक विशालकाय वृक्ष, उसकी टहनियाँ, पत्ते और फल छिपे होते हैं, ठीक वैसे ही गायत्री मंत्र के २४ अक्षरों में चारों वेदों का ज्ञान समाया हुआ है। ज्ञान के चार स्तम्भ: प्राचीन ऋषियों ने ज्ञान को चार भागों में बाँटा, जो ब्रह्मा जी के चार मुख माने जाते हैं: ऋक् (कल्याण): आत्म-शांति, धर्म और दया। यजुः (पौरुष): वीरता, सुरक्षा और नेतृत्व। साम (क्रीड़ा): संगीत, कला, साहित्य और मनोरंजन अथर्व (अर्थ): धन, विज्ञान, औषधि और सुख-साधन। जैसे पानी एक ही होता है, लेकिन वह बर्फ, भाप, बादल और ओस के रूप में अलग-अलग दिखाई देता है; ठीक वैसे ही 'एक ज्ञान-तत्त्व' ही इन चार वेदों के रूप में फैला हुआ है। और उस मूल ज्ञान-तत्त्व का नाम ही "गायत्री" है। इसीलिए कहा जाता है कि अगर आपने गायत्री को समझ लिया, तो वेदों का सार अपने आप समझ में आ जाएगा।

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