शरीर के २४ शक्ति केंद्र: क्या आप जानते हैं गायत्री मंत्र का २४ ग्रंथियों (Glands) पर असर?
📖 जानकारी का स्रोत: गायत्री महाविज्ञान, पृष्ठ ८-९ (Page 8-9)
अक्सर लोग पूछते हैं—"सिर्फ कुछ शब्द बोलने (मंत्र जपने) से भला क्या फायदा होगा?" जवाब है—शरीर का विज्ञान। हमारे शरीर में कई छोटी-बड़ी ग्रंथियां (Glands) हैं, जो हमारे स्वास्थ्य और मन को कंट्रोल करती हैं। गायत्री मंत्र में २४ अक्षर हैं। इस पुस्तक के अनुसार, ये २४ अक्षर शरीर के २४ विशेष "जागृत केंद्रों" से जुड़े हुए हैं।
शरीर एक सितार है:
जैसे सितार के किसी एक तार को छेड़ते ही एक विशेष आवाज़ निकलती है, वैसे ही जब हम गायत्री मंत्र का उच्चारण करते हैं, तो हमारी जीभ और तालु के टकराने से एक विशेष कम्पन (Vibration) पैदा होता है। यह कम्पन शरीर के इन २४ केंद्रों (जैसे- षट्चक्र, भ्रमर, आदि) को 'गुदगुदाता' है और उन्हें एक्टिवेट कर देता है।
कुछ प्रमुख केंद्र और उनकी शक्तियाँ:
'तत्' अक्षर:तापनी ग्रंथि (सफलता की शक्ति)।
'स' अक्षर: सफला ग्रंथि (पराक्रम/Bravery)।
'भर्गो' अक्षर: भर्गा ग्रंथि (रक्षा/Protection)।
'धियो' अक्षर: मेधा ग्रंथि (दूरदर्शिता/Vision)। 🛡️
जब आप मंत्र जपते हैं, तो आप अनजाने में ही अपने भीतर छिपी इन शक्तियों को जगा रहे होते हैं।
🎯 इस लेख की सीख (Moral): हमारा शरीर अद्भुत शक्तियों का खजाना है। सही शब्दों और विचारों के कम्पन से हम अपने भीतर सोए हुए टैलेंट को जगा सकते हैं।
✍️ संदर्भ लेखन - सौरभ दिवटे, भंडारा, महाराष्ट्र
