🚩 बाराबंकी: रामसनेहीघाट में गूंजे गुरुदेव के विचार; अखंड दीप शताब्दी यात्रा का भव्य स्वागत और दीप यज्ञ!
अखिल विश्व गायत्री परिवार की पावन ज्योति कलश यात्रा बाराबंकी जिले के रामसनेहीघाट पहुंची, जहां गायत्री शक्तिपीठ पर इसका जोरदार और भक्तिमय स्वागत किया गया। यह यात्रा एक ऐतिहासिक अवसर का प्रतीक है, जो गायत्री परिवार के संस्थापक युग ऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा बसंत पंचमी 1926 को प्रज्जवलित किए गए 'अखंड दीप' और वंदनीय माता भगवती देवी शर्मा के जन्म के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में निकाली जा रही है।
🎯 मिशन 2026: जन-जागरण का महाभियान शांतिकुंज हरिद्वार द्वारा भेजी गई इस यात्रा के पीछे एक महान उद्देश्य है:
- नवंबर 2026 में हरिद्वार में आयोजित होने वाले भव्य 'शताब्दी समारोह' के लिए देशभर में जन-जागरण करना।
- पावन अखंड दीप की ज्योति के संदेश को देश के कोने-कोने तक पहुँचाना।
✨ रामसनेहीघाट में दीप यज्ञ की आभा शक्तिपीठ पहुँचने पर गायत्री परिजनों और महिलाओं ने पूरी श्रद्धा के साथ दिव्य ज्योति की आरती उतारी और दीप यज्ञ का आयोजन किया। हरिद्वार से आई टोली ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि आगामी शताब्दी समारोह में प्रत्येक गायत्री परिजन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। उन्होंने सभी से तन, मन और धन से योगदान देने तथा इस आध्यात्मिक उत्सव का लाभ उठाने के लिए हरिद्वार पहुँचने का आह्वान किया।
📜 गुरुदेव का संदेश: साधना और सेवा टोली के सदस्यों ने परम पूज्य गुरुदेव के उस मूल संदेश को दोहराया जिसमें उन्होंने साधना को जीवन का उद्देश्य बनाने की बात कही थी। उन्होंने सभी शिष्यों से आग्रह किया कि गुरुदेव के विचारों को जन-जन तक पहुँचाना ही सच्ची गुरु-सेवा है।
🗺️ यात्रा का रूट: जहाँ-जहाँ बरसी कृपा रामसनेहीघाट पहुँचने से पहले और बाद में यात्रा ने कई पड़ावों पर अपनी आध्यात्मिक छाप छोड़ी:
- प्रमुख स्वागत स्थल: कोटवाधाम, टिकैत नगर, बारिन बाग, रानी मऊ, दरियाबाद और भिटरिया चौराहे पर स्थित हनुमान मंदिर।
- शुक्रवार का पड़ाव: यात्रा देवीगंज, सिद्धार कोठी, सेमरावा और मझिगवां में भी पहुँची, जहाँ भव्य आरती और कलश यात्रा का स्वागत किया गया।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के बीच, पुलिस बल और हजारों की संख्या में गायत्री परिजनों ने इस यात्रा को एक उत्सव में बदल दिया।
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