📡 रेडियो और गायत्री: कैसे आपका दिमाग ब्रह्मांडीय ऊर्जा को रिसीव करता है?
📖 जानकारी का स्रोत: गायत्री महाविज्ञान, पृष्ठ ४, ६ (Page 4, 6) ✍️
आज के जमाने में हम सब रेडियो और मोबाइल इस्तेमाल करते हैं। आप अपने घर में बैठे-बैठे दुनिया के किसी भी कोने की खबर सुन लेते हैं। कैसे? क्योंकि वातावरण में तरंगे (Waves) मौजूद हैं, और आपका डिवाइस उन्हें पकड़ लेता है। गायत्री साधना भी ठीक ऐसा ही एक "आध्यात्मिक रेडियो" है।
गायत्री - एक महाशक्ति: इस ब्रह्मांड में एक बहुत बड़ी चैतन्य शक्ति (Super Consciousness) है, जिसे "आदि शक्ति" या "गायत्री" कहते हैं। यह शक्ति हर जगह मौजूद है, ठीक वैसे ही जैसे रेडियो की तरंगें हर जगह हैं।
हमारा दिमाग - एक रिसीवर: हमारा दिमाग और शरीर एक यन्त्र (Machine) की तरह है। जब हम साधना (Meditation) करते हैं, तो हम अपने दिमाग की "सुई" (Tuning) को उस महाशक्ति की फ्रीक्वेंसी से मिला देते हैं। जैसे ही कनेक्शन जुड़ता है, ब्रह्मांड की वो सारी जानकारियाँ और शक्तियाँ हमारे अंदर उतरने लगती हैं, जो आम इंसान को चमत्कार लगती हैं।
प्राचीन ऋषि-मुनि बिना किसी मशीन के हजारों मील दूर बैठे व्यक्ति से बात कर लेते थे (टेलीपैथी), क्योंकि उनका "दिमागी रेडियो" बहुत पावरफुल था।
🎯 इस लेख की सीख (Moral): ईश्वर या शक्ति कहीं बाहर नहीं, हमारे कनेक्शन में है। बस अपनी 'ट्यूनिंग' सही करने की देर है, फिर आप भी ब्रह्मांड की असीमित शक्ति पा सकते हैं।
संदर्भ लेखन - सौरभ दिवटे
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