🧘♂️ प्राणायाम का जादू: साँस लेने की वह प्राचीन तकनीक, जो आपके व्यक्तित्व को बना देगी चुंबकीय!
📖 जानकारी का स्रोत: गायत्री महाविज्ञान, पृष्ठ ७६-७७
साँस लेना जीवन की सबसे सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सही तरीके से साँस लेना आपको साधारण से असाधारण बना सकता है? 'गायत्री महाविज्ञान' के अनुसार, हवा में केवल ऑक्सीजन ही नहीं, बल्कि एक सूक्ष्म तत्त्व होता है जिसे 'प्राण ऊर्जा' (Vital Force) कहते हैं।
🦁 शेर जैसी ताकत बनाम कबूतर जैसा डर प्राण शक्ति का सीधा संबंध आपके व्यक्तित्व और मानसिक स्थिति से होता है:
- न्यून प्राण शक्ति: जिन लोगों में इसकी कमी होती है, वे शरीर से भले ही हृष्ट-पुष्ट दिखें, लेकिन स्वभाव से डरपोक, आलसी और चिड़चिड़े होते हैं।
- उच्च प्राण शक्ति: जिनमें प्राण ऊर्जा प्रचुर मात्रा में होती है, वे साहसी, तेजस्वी और चुंबकीय व्यक्तित्व (Magnetic Personality) के धनी होते हैं।
🌪️ गायत्री प्राणायाम की वैज्ञानिक विधि (4 स्टेप्स) संध्या वंदन और आत्म-परिष्कार के लिए इसे चार महत्वपूर्ण चरणों में बाँटा गया है:
- 🌬️ पूरक (Inhalation): 'ॐ भूर्भुवः स्वः' का मानसिक जप करते हुए धीरे-धीरे साँस अंदर खींचें। इस समय यह भावना करें कि आप ब्रह्मांड की दिव्य शक्ति को अपने भीतर खींच रहे हैं।
- ⏸️ अंतः कुम्भक (Retention): 'तत्सवितुर्वरेण्यं' बोलते हुए साँस को भीतर ही रोके रखें। भावना करें कि वह दिव्य शक्ति आपकी नसों और कण-कण में समाहित हो रही है।
- 💨 रेचक (Exhalation): 'भर्गो देवस्य धीमहि' बोलते हुए धीरे-धीरे साँस बाहर छोड़ें। भावना करें कि शरीर के सारे पाप, विकार और मानसिक गंदगी बाहर निकल रही है।
- 🛑 बाह्य कुम्भक (Suspension): 'धियो यो नः प्रचोदयात्' बोलते हुए बिना साँस के रहें। इस शून्य अवस्था में परम शांति और परमात्मा के सान्निध्य का अनुभव करें।
🎯 इस लेख की सीख (Moral) साँस ही जीवन का आधार है। इसे सही तरीके से नियंत्रित (Control) करना सीखकर आप न केवल अपने फेफड़ों को मजबूत कर सकते हैं, बल्कि अपने मन और शरीर पर पूर्ण विजय प्राप्त कर सकते हैं।
✍️ संदर्भ लेखन: सौरभ दिवटे
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