📡 शिखा (चोटी) का विज्ञान: क्या यह दिमाग का 'एंटीना' है? जानें ऊर्जा बचाने का प्राचीन Brain Science!
अक्सर हम अपने पूर्वजों को सिर पर चोटी (शिखा) रखते देखते थे। आधुनिक युग में कई लोग इसे केवल एक धार्मिक कर्मकांड या अंधविश्वास मान लेते हैं, लेकिन प्राचीन भारतीय ऋषियों का यह ज्ञान पूरी तरह मस्तिष्क विज्ञान (Brain Science) पर आधारित था।
📖 जानकारी का स्रोत: गायत्री महाविज्ञान, पृष्ठ ७६।
📡 एंटीना की लोकेशन और रेडियो टावर का सिद्धांत जिस तरह एक रेडियो स्टेशन में सिग्नल भेजने और पकड़ने के लिए एक ऊँचा टावर होता है, ठीक उसी तरह हमारे शरीर में भी एक केंद्र होता है।
- मस्तिष्क का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र, जिसे सहस्रार चक्र (Sahasrara Chakra) कहा जाता है, ठीक उसी जगह स्थित होता है जहाँ शिखा रखी जाती है।
- यह स्थान ब्रह्मांडीय संकेतों को प्राप्त करने के लिए शरीर का सबसे संवेदनशील हिस्सा है।
🔒 ऊर्जा का 'वाल्व' और मानसिक लॉक हमारे विचार और संकल्प ऊर्जा का एक रूप हैं जो निरंतर हमारे मस्तिष्क से बाहर निकलते रहते हैं।
- ऊर्जा का रिसाव रोकना: शिखा में गाँठ लगाना (Knotting) इस मानसिक ऊर्जा को व्यर्थ बाहर बहने से रोकने का काम करता है।
- कॉस्मिक एनर्जी रिसीवर: यह बाहरी ब्रह्मांडीय ऊर्जा (Cosmic Energy) को शरीर के भीतर ग्रहण करने में मदद करता है।
- बैटरी प्रोटेक्शन: जैसे साइकिल के टायर में हवा रोकने के लिए वाल्व (Valve) होता है, वैसे ही शिखा हमारे दिमाग की 'बैटरी' को डिस्चार्ज होने से बचाती है।
🎯 साधना में क्यों है अनिवार्य? यही कारण है कि पूजा, ध्यान या किसी भी प्रकार की साधना के समय शिखा में गाँठ लगाना अनिवार्य माना गया है। यह सुनिश्चित करता है कि आपकी एकाग्रता और मानसिक शक्ति सुरक्षित रहे और आप आध्यात्मिक रूप से अधिक सक्रिय रह सकें।
💡 इस लेख की सीख (Moral) अपनी मानसिक ऊर्जा को व्यर्थ न गँवाएं। प्राचीन परंपराओं के पीछे छिपे विज्ञान को समझें और अपनी आंतरिक शक्ति को सही दिशा में सुरक्षित रखें।
✍️ संदर्भ लेखन: सौरभ दिवटे
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