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    🔥 यज्ञ और हवन: केवल परंपरा नहीं, बल्कि पर्यावरण शुद्धि और मानसिक शांति का प्राचीन विज्ञान!

    🔥 यज्ञ और हवन: केवल परंपरा नहीं, बल्कि पर्यावरण शुद्धि और मानसिक शांति का प्राचीन विज्ञान!

    10 घंटे पहले
    1007 बार देखा गया
    भंडारा, महाराष्ट्र

    स्वाहा!" — जब हम हवन कुंड में सामग्री डालते हैं, तो कई लोग इसे केवल एक धार्मिक क्रिया मानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह विज्ञान का एक अद्भुत प्रयोग है? 'गायत्री महाविज्ञान' के अनुसार, यज्ञ केवल राख बनने की प्रक्रिया नहीं बल्कि ऊर्जा के रूपांतरण का माध्यम है।


    🌬️ हवा की दवाई: सूक्ष्म औषधियों का कमाल यज्ञ में डाली जाने वाली जड़ी-बूटियाँ और हवन सामग्री आग के संपर्क में आकर नष्ट नहीं होतीं, बल्कि सूक्ष्म (Micro) रूप ले लेती हैं।

    • वायुमंडल में प्रसार: जलती हुई सामग्री गैस का रूप लेकर पूरे वातावरण में फैल जाती है।
    • कीटाणुओं का नाश: इस औषधीय धुएँ और सुगंध से हवा में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और वायरस खत्म हो जाते हैं।
    • इंजेक्शन से भी तेज असर: जब हम साँस लेते हैं, तो यह औषधीय हवा सीधे फेफड़ों और खून में पहुँचती है, जो किसी इंजेक्शन से भी अधिक तेजी से शरीर पर प्रभाव डालती है।


    🍎 "इदं न मम": त्याग का महान पाठ यज्ञ हमें जीवन जीने का एक दिव्य दर्शन सिखाता है — "इदं न मम" (अर्थात: यह मेरा नहीं है)।

    • प्रकृति का उदाहरण: जैसे बादल समुद्र से जल लेकर वर्षा करते हैं और पेड़ अपने फल दूसरों को अर्पण कर देते हैं, वैसे ही यज्ञ हमें अपनी कमाई और प्रतिभा का एक हिस्सा समाज हित में समर्पित करने की प्रेरणा देता है।
    • भारतीय संस्कृति का आधार: यज्ञ को भारतीय संस्कृति का पिता और गायत्री को माता माना गया है। इन दोनों का समन्वय ही मनुष्य को "द्विजत्व" (नया जन्म) प्रदान करता है।


    🎯 इस लेख की सीख (Moral) असली सुख 'लेने' में नहीं बल्कि 'देने' में है। जिस तरह यज्ञ की आहुति वायुमंडल को सुगंधित बनाती है, उसी तरह हमारा दान और सेवा समाज को सुखमय बनाती है। जो हम बाँटते हैं, वही प्रकृति हमें कई गुना बढ़ाकर वापस लौटाती है।

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